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शोध या अनुसन्धान के प्रकार

नवीन ज्ञान की खोज की दिशा में किये गए व्यवस्थित एवं क्रमबद्व प्रयास को शोध कहते है। शोध नए सत्य के अन्वेषण द्वारा अज्ञान के क्षेत्र या प्रभाव को ख़त्म करता है और ज्ञान के प्रभाव का विस्तार करता है। वे सत्य हमें कार्य करने की उत्कृष्ठतर विधियाँ और श्रेष्टतर परिणाम प्रदान करते हैं। संस्कृति की उन्नति का रहस्य शोध में निहित है।

शोध का प्रमुख लक्ष्य वैज्ञानिक पद्वति के प्रयोग द्वारा प्रश्नों के उत्तर खोजना है। इसका उद्देश्य अध्ययनरत समस्या के अंदर छुपी हुई यर्थाथता का पता लगाना या किसी समस्या के बारे में उस सब की खोज करना है, जिसकी जानकारी नहीं है। शोध का उद्देश्य सिद्धांतों का निर्माण करना होता है। मनुष्य के जीवन में आने वाली समस्याओं के निदान में भी शोध ही आगे आता है।

शोध के प्रकार;

वैसे प्रत्येक शोध के अपने विशेष लक्ष्य होते है फिर भी सैल्टिज, जहोदा आदि ने शोध को निम्नलिखित प्रकारों में विभाजित किया हैं।

मौलिक या विशुद्व शोध और व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान;

मौलिक या विशुद्व शोध

किसी घटना-परिघटना (फेनोमेना) के कार्य-कारण संबंधों को निर्धारित करने के उद्देश्य से किये जाने वाले शोध को मौलिक या विशुद्व शोध कहते है। (* नवीन तथ्यों और घटनाओं का अध्ययन) विशुद्ध अनुसन्धान का जीवन में प्रत्यक्ष भौतिक उपयोग नहीं होता है। दर्शन, इतिहास, साहित्य आदि के अधिकांश शोध इस प्रकार के होते हैं।

मौलिक या विशुद्व शोध का उद्वेश्य ज्ञान की प्राप्ति है। शोध के द्वारा ज्ञान की प्राप्ति, पुनर्मूल्यांकन, पुनःपरिक्षण परिमार्जन और परिवर्धन किया जाता है । मौलिक या विशुद्व शोध के द्वारा मौलिक सिद्वांतों और नियमों का प्रतिपादन किया जाता है।

विज्ञान में विशुद्ध सैद्धांतिक शोध होते हैं। यद्यपि उनका प्रत्यक्ष उपयोग नहीं होता है परन्तु उससे सतत और समग्र चिंतन प्रक्रिया को प्रेरणा मिलती है।

गणित और विज्ञान के शोधों से सिद्धांतों का निर्माण होता है। इन्हीं सिद्धांतों के आधार पर प्रायोगिक शोध व वैज्ञानिक अविष्कार किये जाते हैं, जिसका प्रत्यक्ष उपयोग होता है।

उद्वेश्य # नवीन परिस्थितियों और समस्याओं के उत्पन्न होने पर नवीन सिद्वांतों और नियमों की खोज।

मौलिक या विशुद्व शोध के प्रकार

  • अन्वेषणात्मक शोध; किसी विषय, वस्तु या घटना के संदर्भ में नवीन ज्ञान प्राप्त करने के उद्देश्य से किये जाने वाले शोध को अन्वेषणात्मक अथवा निरूपणात्मक शोध कहते है।

अर्थात; अज्ञात को ज्ञात करने के उद्देश्य से किये जाने वाले शोध को अन्वेषणात्मक शोध कहते है। (अन्वेषण करना = खोज करना) # यह क्या है?

  • निरूपणात्मक शोध; किसी विषय, वस्तु या घटना की यर्थाथता का पता लगाना और संदर्भ के साथ ब्याख्या करना निरूपणात्मक शोध है। (निरूपण करना = प्रगट करना या व्यक्त करना) # यह क्या है? कैसा है? क्यों है?
  • वर्णनात्मक शोध; किसी विषय, वस्तु या घटना अथवा व्यक्ति या समूह की विशेषता और स्थिति-परिस्थिति का सही चित्रण करने के लिए किये जाने वाले शोध को वर्णनात्मक शोध कहते है। (वर्णण करना = चित्रण करना) # यह क्या है? कैसा है? कहाँ है? क्यों है?

पी वी यंग के अनुसार खोज का एक निश्चित संबंध लोगों की प्राथमिक आवश्यकताओं और कल्याण से होता है।

व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान

व्यावहारिक शोध प्रयोगसिद्ध व्यावहारिक खोज की प्रक्रिया है। किसी घटना-परिघटना के कार्य-कारण संबंधों को निर्धारित करने के साथ साथ उनसे उत्पन्न समस्याओं के समाधान या निदान के लिए किये जाने वाले शोध को व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान कहते है।

व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान का संबंध ज्ञान के व्यावहारिक पक्ष से होता है। प्रायोगिक अनुसन्धान इसका प्रत्यक्ष भौतिक उपयोग होता है।

व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान का उद्वेश्य;

व्यावहारिक शोध का उद्वेश्य व्यावहारिक जीवन से संबद्ध विषयों तथा समस्याओं के संबंध में सही ज्ञान देना मात्र नही है। व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान का उद्वेश्य समस्याओं के समाधान या निदान होता है।

सामान्यतः व्यावहारिक शोध या प्रायोगिक अनुसन्धान समस्याओं के समाधान या निदान प्राप्त करने और अन्य घटनाओं-परिघटनाओं पर नियंत्रण प्राप्त करने या उनका नियोजन एवं विकास (सुधार या उपचार) करने में सहायक साबित होते हैं।

अर्थशास्त्र में शोध का उद्देश्य आर्थिक विकास एवं आर्थिक नियोजन होता है। भूगोल के अंतर्गत शोध का उद्देश्य भौगोलिक नियोजन और क्षेत्रीय विकास होता है। पर्यावरण प्रवंधन, संसाधन प्रबंधन आदि शोध के परिणाम हैं। मनोविज्ञान के अंतर्गत मनोरोगों की चिकित्सा और उपचार के लिए शोध कार्य किये जाते हैं। सांस्कृतिक विकास के उद्देश्य से दर्शन, कला और साहित्य के अंतर्गत शोध कार्य किये जाते हैं।

  • निदानात्मक शोध; किसी घटना या समस्या के संदर्भ में वस्तु स्थिति को ज्ञात करना एवं उसमें सकारात्मक परिवर्तन (पॉजिटिव चेंज) के लिए उपचार की संस्तुति करने के लिए किये जाने वाले शोध को निदानात्मक शोध कहते है। (निदान करना = उपचार करना) # यह क्या है? क्यों है? क्या होना चाहिए? किसी समस्या का क्या निदान है?
  • क्रियात्मक शोघ; जब शोध या अनुसन्धान का उद्वेश्य अध्ययन के निष्कर्षों को क्रियात्मक रूप देने की किसी भावी योजना से संबंध होता है या नियोजन एवं विकास तो उसेक्रियात्मक शोध कहा जाता है।
    गुड्डे तथा हॉट के अनुसार क्रियात्मक शोध उस कार्यक्रम का अंश होता हैं जिसका लक्ष्य उपस्थित घटना की अवस्थाओं या उससे उत्पन्न समस्या के संदर्भ में सकारात्मक परिवर्तन
    (पॉजिटिव चेंज) करना होता है।

आवश्यक सुधार करने की योजना-परियोजना

उदाहरण स्वरुप; मलिन बस्ती या झोपड़पट्टी (स्लम) की स्थिति; नियोजन एवं विकास।

Research Methodology

- e.knowledge_shahi

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