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समोच्च रेखाएँ
समोच्च रेखा का अर्थ समान ऊंचाई को प्रदर्शित करने वाली रेखा है ( समोच्च रेखा = सम + उच्च रेखा)। इसे कन्टूर लाइन (contour line) भी कहते हैं। अर्थात समोच्च रेखा उस वक्र को कहते हैं जो समान ऊँचाई को प्रदर्शित करता है।
समोच्च रेखाएँ वे कल्पित रेखाएँ हैं जो समुद्र-तल से ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाती है। (isolines are often referred to as contour lines; a contour is an imaginary line which joins place of equal altitude above the sea level). बस्तुतः किसी क्षेत्र के मानचित्र पर सामान ऊँचाई वाले बिदुओं को मिलाने वाली
रेखाएँ (वक्र) समोच्च रेखाएँ कहलाती हैं।
मानचित्र पर समोच्च रेखाएँ भूरे रंग से 20, 50, 100 तथा 200 मीटर अथवा फुट के अन्तर पर खींची जाती हैं।
समोच्च रेखाओं की विशेषताएँ
समोच्च रेखाएँ मानचित्र पर समान ऊँचाई वाले स्थानों को मिलाते हुए खींची जाती हैं।
- प्रत्येक समोच्च रेखा उस स्थान की वास्तविक ऊँचाई को प्रकट करती है।
- सभी समोच्च रेखाओं का मान इन रेखाओं के मध्य में अंकों द्वारा माप की विभिन्न इकाइयों में अंकित कर दिया जाता है।
- समोच्च रेखाएँ निश्चित उर्ध्वाकार अन्तराल पर खींची जाती हैं। इनके द्वारा दो स्थानों के बीच ऊँचाई का स्पष्ट एवं सही ज्ञान हो जाता है।
- दो समोच्च रेखाओं के मध्य का अन्तर सदैव समान रहता है, परन्तु प्रत्येक समोच्च रेखा के बीच की दूरी समान नहीं रहती है।
- समोच्च रेखाएँ तो मिल जाती हैं परन्तु दो समोच्च रेखाएँ एक-दूसरे को कभी नहीं काटती हैं। (जल-प्रपात के स्थान पर समोच्च रेखाएँ मिल जाती हैं, केवल भृगु (cliff) की समोच्च रेखाएँ एक-दूसरे को काटती हैं)
- सामान्यतया जब एक समोच्च रेखा किसी भी दिशा की ओर मुड़ जाती है तो प्रायः दूसरी समोच्च रेखा भी उसका ही अनुसरण करती हुई दिखाई पड़ती है।
- समोच्च रेखाएँ पूर्ण होती हैं। इन्हें खण्ड रेखाओं के रूप में प्रदर्शित नहीं किया जाता है।
- समोच्च रेखाओं की तीव्रता द्वारा किसी भी स्थान के ढाल का सुगमता से ज्ञान प्राप्त हो जाता है।
- पास-पास खींची हुई समोच्च रेखाएँ तीव्र ढाल को प्रकट करती हैं, जबकि दूर-दूर खींची हुई समोच्च रेखाएँ मन्द ढाल को प्रकट करती हैं
- किसी स्थान का उच्चावच का प्रदर्शन इन रेखाओं की सहायता से किया जाता है।
- समोच्च रेखाओं से पार्श्व चित्र खींचकर वास्तविक भू-आकृतियों को पुनः निर्मित किया जा सकता है।
ऊर्ध्वाधर अन्तराल
किन्हीं दो समोच्च रेखाओं के मध्य ऊँचाई का जो अन्तर होता है, उसे ऊर्ध्वाधर अन्तराल कहते हैं। (Vertical interval is the difference of height between any two successive contours). इसे संक्षेप में V.I. कहते हैं। यह हमेशा स्थिर रहता है।
क्षैतिज तुल्यमान
दो समोच्च रेखाओं के बीच क्षैतिज दूरी को क्षैतिज तुल्यमान कहते हैं। (Horizontal
equivalent is the horizontal distance between any two successive contours.) इसे H.E. से पुकारा जाता है। यह ढाल के अनुसार परिवर्तित होता रहता है। यदि ढाल अधिक है तो समोच्च रेखाओं के मध्य की दूरी कम होगी और यदि ढाल कम है तो इनके बीच की दूरी अधिक होगी।
पर्वतीय क्षेत्रों की समोच्च रेखाएँ पास-पास होती हैं। इसलिए ऐसे क्षेत्रों की समोच्च रेखाओं का क्षैतिज तुल्यमान कम तथा मैदानी क्षेत्रों में यह अधिक होता है।
समोच्च रेखाओं द्वारा विभिन्न भूआकृतियों का प्रदर्शन
समढाल (Uniform Slope)
जिन प्रदेशों में ढाल में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आता, ढाल सभी जगह एक जैसा ही रहता है अथवा ढाल में शनैःशनैः परिवर्तन आता है, उसे समढाल (Uniform Slope) कहते हैं। इसमें समोच्च रेखाओं के बीच की दूरी बराबर रहती है। (चित्र 1)
(चित्र 1)
नतोदर ढाल (Concave Slope)
पर्वतीय क्षेत्रों में शिखर के तीव्र ढाल तथा गिरीपद क्षेत्र में मन्द ढाल होते हैं। इसलिए शिखर के पास समोच्च रेखाएँ पास-पास तथा गिरीपद के निकट ये दूर-दूर होती हैं। (चित्र 2)
उन्नतोदर ढाल (Convex Slope)
इसमें ढाल का क्रम नतोदर ढाल के ठीक विपरीत होता है। शिखर के निकट ढाल मन्द तथा गिरीपद के निकट तीव्र ढाल होता है। शिखर के निकट समोच्च रेखाएँ दूर-दूर तथा गिरीपद के निकट ये रेखाएँ पास – पास होती हैं। (चित्र 2)
(चित्र 2)
सीढ़ीनुमा ढाल (Terraced Slope)
इसमें समोच्च रेखाएँ जोड़ों में होती हैं। इसमें कहीं पर ढाल समतल तथा कहीं सीढ़ीनुमा या सोपानी होता है। इसलिए इसमें दो रेखाएँ एक युग्म के रूप में पास-पास होती हैं। (चित्र 3)
विषम ढाल (Undulating Slope)
इसे तरंगित ढाल भी कहते हैं। इसमें ढाल कहीं तीव्र तथा कहीं मन्द होता है, कहीं पर ढाल नतोदर तथा कहीं उन्नतोदर होता है। विषम ढाल एक लहर या तरंग की भाँति असमान होता है। (चित्र 3)